49th Chief Justice of India | जस्टिस यूयू ललित बने देश के नए मुख्य न्यायाधीश
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उदय उमेश ललित ने भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण किया है, भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में यूयू ललित को शपथ ग्रहण करवाया है, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया उदय उमेश ललित का कार्यकाल महज 74 दिन का होगा क्योंकि वे इसी साल 8 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे।
वर्ष 1983 में यूयू ललित ने एडवोकेट के तौर पर नामांकन किया था, इसके बाद वर्ष 1985 दिसंबर तक उन्होंने मुंबई हाई कोर्ट ने प्रैक्टिस की, और फिर वर्ष 1986 में उनका ट्रांसफर दिल्ली किया गया। अपने 74 दिन के कार्यकाल में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में लंबित 492 संवैधानिक मामलों को निपटाना है।
जस्टिस यूयू ललित बने देश के नए मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
आपकी जानकारी के लिए बता दें मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना 26 अगस्त को रिटायर हुए हैं, जिसके बाद ही यूयू ललित को भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। यूयू ललित 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे, और वे क्रिमिनल लॉ के विशेषज्ञ हैं।
उदय उमेश दलित बार से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने वाले दूसरे जज है। वर्ष 2004 में यूयू ललित को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सीनियर एडवोकेट पद के लिए नॉमिनेट किया गया था, इसके साथ ही दो कार्यकालों लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया लीगल सर्विसस कमेटी का सदस्य बनाया गया था।
मुख्य न्यायधीश यूयू ललित ने अपने शपथ समारोह के दौरान 3 अहम सुधारों का वादा भी किया है, जिसमें उन्होंने मुकदमे के समय में लिस्टिंग, अधिक संवैधानिक पीठ और अर्जेंट मामलों की मेंशनिंग हेतु नया सिस्टम बनाने की बात कही है।
मुख्य न्यायधीश के शपथ ग्रहण समारोह में उनके परिवार की तीन पीढ़ियों के सदस्य शामिल हुए
मुख्य न्यायाधीश के रूप में यूयू ललित को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई, यूयू ललित के शपथ ग्रहण समारोह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अन्य अनेक लोग मौजूद रहे। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित के शपथ समारोह में उनके परिवार की तीन पीढ़ियों के सदस्य भी शामिल हुए थे।
शपथ समारोह में एनवी रमना ने कहा सफलता का शार्टकट नहीं होता
शपथ समारोह के बीच पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रमना ने अन्य वकीलों को नसीहत देते हुए कहा कि सफलता का शॉर्टकट नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से आयोजित विदाई समारोह में रमना बोले “मैंने अपनी 12 वर्ष की उम्र में पहली बार गांव में बिजली देखी, अपने 17 वर्ष की उम्र में 10000 मजदूरों की अगुवाई की, आज के समय में वकीलों को चेंबर मिलता है, मैं पेड़ के नीचे खड़े रहकर मुवक्किल से बात करता था किसी जज की जिंदगी में इतना संघर्ष होता है यह एक वकील ही समझ सकता है।”