आलोक धन्वा का जीवन परिचय – Alok Dhanwa Jeevan Parichay

Alok Dhanwa Jeevan Parichay

आलोक धन्वा जी का नाम हमारे देश के महान कवियों में गिना जाता है जिन्होंने कविता के क्षेत्र को एक नई दिशा देने का काम किया था।

कहते है कलम में बहुत ताकत होती है और कविता के माध्यम से अपने दिल की बातों को आसानी से प्रकट किया जा सकता है। आलोक धन्वा जी की कविताओं में भी आपको मनुष्य के भावनात्मक विचारों की झलक देखने को मिलती है।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको आलोक धन्वा जी के बारे में विस्तृत जानकारियां देने वाले है।

आलोक धन्वा का जीवन परिचय

आलोक धन्वा जी का जन्म 2 जुलाई 1948 को बिहार राज्य के मुंगेर के बेलबिहमा गांव में हुआ था। उनके जन्म स्थल के आस पास मौजूद प्राकृतिक वातावरण ने उन्हें कवि बनने की प्रेरणा दी थी जिसका वर्णन आपको आलोक धन्वा की कविताओं में साफ साफ देखने को मिलता है।

बचपन से उन्हें विभिन्न विभिन्न प्रकार की साहित्यकारों की पुस्तकें पढ़ने का शौक था , जिस कारण विज्ञान का छात्र होने के बावजूद आलोक धन्वा जी की लगाव साहित्य और कविता की तरफ बढ़ने लगा। साल 1972 में आलोक धन्वा जी की पहली कविता वाम पत्रिका में प्रकाशित हुई थी ।

इनकी कई कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी और रूसी भाषा में भी हुआ है। वर्ष 1972 से लेकर 1973 तक इनकी कई कविताएँ प्रकाशित हुई थी जिसने काव्य प्रेमियों के हृदय में अपनी एक अलग जगह बना ली थी।

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उनकी रूचि सामाजिक कार्यक्रमों में अधिक थी । यहां तक कि जमशेदपुर में उन्होंने अध्ययन मंडलियों का भी संचालन किया था ।

आलोक धन्वा जी ने कई राष्ट्रीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता की भूमिका को भी निभाया था। आलोक धन्वा जी ने भले ही कुछ ही रचनाएं की लेकिन उनके रचनाओं को काफी ख्याति भी मिली थी ।

आलोक धन्वा जी की रचनाएँ

जैसा कि हमने आपको बताया कि आलोक धन्वा जी ने बहुत ही कम उम्र में कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था और उन्होंने कई कविताएँ और काव्यों की रचना की थी।

अगर आलोक धन्वा जी की कविता संग्रह की बात करें तो इनमें जनता का आदमी, गोली दागो पोस्टर, जिलाधीश, पेड़ के जूते, भूखा बच्चा, आम का पेड़, ब्रूनो की बेटियां, नदियां, पतंग, बकरियां और सफेद रात है। आलोक धन्वा जी ने एक मात्र काव्य संग्रह की रचना की थी जिसका नाम दुनिया रोज बनती है

आलोक धन्वा जी को सम्मान एवं पुरस्कार

आलोक धन्वा जी को उनके कविताओं की रचना और इसकी लोकप्रियता के कारण कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है जिनमें पहल सम्मान , नागार्जुन सम्मान , फिराक गोरखपुरी सम्मान , गिरिजा कुमार माथुर सम्मान , भवानी प्रसाद मिश्र स्मृति सम्मान आदि है।

आलोक धन्वा और कला पक्ष

आलोक धन्वा जी की कविताओं की खास बात यह है कि इनकी कविताओं में बेहद ही सरल , सहज और हिंदी भाषा का इस्तेमाल किया गया है जिस कारण इनकी कविताएं सीधे दिल को छू लेती है।

आलोक धन्वा जी की कविताओं की इसी विशेषता के कारण इनकी कविताएं जनप्रिय है और बहुत ही अधिक लोकप्रिय भी है। कई आलोचकों का मानना है कि इनकी कविताओं के प्रभाव का मूल्यांकन अभी ठीक तरह से नही किया गया है।  इनकी रचनाओं में आपको शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली का इस्तेमाल देखने को मिलता है।

इसके अलावा ये बिंबों का भी सुंदर रूप से प्रयोग करते है। आलोक धन्वा जी की रचनाओं में आपको अलंकारों का सुंदर व सरलता से प्रयोग देखने को मिलता है।

आलोक धन्वा जी की रचनाओं में आपको व्यक्तिगत भावनाओं के साथ ही साथ सामाजिक भावनाओं का प्रभाव भी देखने को मिलता है। उदाहरण के स्वरूप इनकी कविता में पतंग में आपको बाल सुलभ इच्छाओं और उमंग का वर्णन देखने को मिलता है।

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