भगवतीचरण वर्मा का जीवन परिचय – Bhagwati Charan Verma Ka Jivan Parichay
दोस्तों, हमारे देश में कई बड़े बड़े कवियों , लेखकों , उपन्यासकारों का जन्म हुआ है जिन्होंने देश को कई रचनाएं दी , जो आज भी हमारे देश के युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का काम करती है।
इन विद्वान कवियों और लेखकों की सूची में भगवतीचरण शर्मा जी का नाम भी प्रमुख है। आज के इस लेख में हम आपको भगवतीचरण वर्मा का जीवन परिचय के बारे में बताने वाले है।
भगवतीचरण वर्मा का जीवन परिचय एवं साहित्य योगदान
नाम | भगवतीचरण वर्मा |
जन्म की तारीख | 30 अगस्त , 1903 |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश , उन्नाव |
भाषा | हिंदी |
व्यवसाय | उपन्यास, कविता, कहानी , नाटक, पत्रकार, साहित्य आलोचना , संस्मरण |
मृत्यु | 5 अक्टूबर, 1981 |
पद्मभूषण भगवतीचरण वर्मा जी का जन्म 30 अगस्त 1903 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शफीपुर ग्राम में हुआ था। इन्होंने प्रयागराज से बी ० ए और एल ० एल ० बी की डिग्री प्राप्त की थी। इन्होंने साल 1936 के करीबन फ़िल्म कॉर्पोरेशन कलकत्ता में भी काम किया था।
इन्होंने लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में मुख्य रूप से कार्य किया था। कुछ दिनों तक उन्होंने विचार नाम के साप्ताहिक का प्रकाशन संपादन भी किया था। इसके अलावा कई दिनों तक भगवतीचरण वर्मा जी ने बम्बई में फ़िल्म कथा लेखन एवं दैनिक नवजीवन का भी संपादन किया था।
इसके अलावा इन्होंने आकाशवाणी के कई केंद्रों में भी कार्य किया है। इन्हें राज्यसभा की मानद सदस्यता भी प्राप्त थी। भगवतीचरण वर्मा के प्रमुख उपन्यास चित्रलेखा पर दो बार फ़िल्म निर्माण और भूले बिसरे चित्र पर साहित्य अकादमी पुरस्कार भी दिया गया है।
भगवतीचरण वर्मा और हिंदी साहित्य का संबंध
ये वो समय था जब स्वतंत्रता संग्राम और देश सेवा की भावना का प्रभाव साहित्य में भी देखने को मिल रहा था। उन दिनों संसाधनों का विकास हो रहा था और हमारा देश औधोगिक बन रहा था।
उन दिनों छापेखाने का विकास हो रहा था जिससे साहित्य के संसार में एक नई क्रांति भी हुई थी। पूरे देश में हिंदी के प्रति लोकप्रियता भी बढ़ने लगी थी।
सिर्फ हिंदी भाषी ही नही बल्कि अन्य भाषाओं के लेखकों ने भी हिंदी में साहित्य रचना करके इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। भगवतीचरण वर्मा जी ने भी अपनी रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य को एक अलग मुकाम में पहुँचाने का काम किया था।
भगवतीचरण वर्मा जी की रचनाएं
भगवतीचरण वर्मा जी के द्वारा रचित प्रमुख उपन्यास वो फिर नही आई, टेढ़े मेढे रास्ते ,तीन वर्ष, सामर्थ्य और सीमा रेखा, युवराज चुण्डा, धुप्पल, चाणक्य, अपने खिलौने, पतन, चित्रलेखा, भूले बिसरे चित्र, थके पांव, रेखा , सीधी सच्ची बातें, सबहीं नचावत राम गोसाईं , प्रश्न और मरीचिका है।
इसके अतिरिक्त भगवतीचरण वर्मा जी के द्वारा प्रसिद्ध कहानी संग्रह दो बांके 1936, मुगलों ने सल्तनत बख़्श दी, मोर्चाबंदी, राख और चिंगारी , इन्सटॉलमेंट है। इनके द्वारा रचित प्रसिद्ध नाटक रूपया तुम्हें खा गया, वसीहत, सबसे बड़ा आदमी है।
भगवतीचरण वर्मा जी के आलोचना साहित्य के सिद्धांत तथा रूप है और संस्मरण अतीत की गर्त से है। भगवती चरण वर्मा जी के प्रमुख कविता संग्रह प्रेम संगीत, मानव और मधुकण है।
भगवतीचरण वर्मा जी को सम्मान व पुरस्कार
भगवती चरण वर्मा जी को उनके उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मभूषण से भी सम्मान दिया गया है ।