Mahadevi Verma Biography In Hindi- महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
हिंदी साहित्य के बारे में तो आपने कभी ना कभी जीवन में पढ़ाई होगा । महादेवी वर्मा के द्वारा जो हिंदी साहित्य में योगदान दिया गया है, उसे भारत कभी नहीं भूल सकता है । महादेवी वर्मा एक काफी अच्छी कवित्री थी, जिन्होंने अपने काम से काफी युवाओं को प्रेरणा दी है ।
आज इस पोस्ट के जरिए हम आपको Mahadevi Verma जी के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने वाले हैं, जो आपने पहले कभी नहीं पढ़ी होंगी । इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको Mahadevi Verma Jeevan Parichaya बताने वाले हैं । इसलिए इस पोस्ट को आप अंत तक अवश्य पढ़े ।
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
महादेवी वर्मा उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद की रहने वाली थी l उनका जन्म 26 मार्च 1960 को होली के दिन हुआ था l महादेवी वर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर के मिशन स्कूल से प्राप्त की थी l
इसके अलावा महादेवी वर्मा बौद्ध दीक्षा लेकर भिक्षुणी भी बनना चाहती थी l इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में MA भी की हुई है l
महादेवी वर्मा की शिक्षा
जानकारी के मुताबिक महादेवी वर्मा जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तो इंदौर के मिशन स्कूल से ही पूरी की थी, लेकिन इनके माता-पिता ने अंग्रेजी, संगीत, चित्रकला और संस्कृत विषय के लिए इनके लिए घर पर भी शिक्षकों की नियुक्ति की थी l
1919 में इन्होंने इलाहाबाद के एक कॉलेज में एडमिशन लिया था l वहां पर यह छात्रावास में रहने लगी थी l 1921 में इन्होंने आठवीं कक्षा 5 की थी और पूरे प्रांत में अपना पहला स्थान हासिल किया था l
वैसे तो महादेवी वर्मा को 7 वर्ष की आयु से ही कविता लिखने का शौक था, लेकिन इनकी प्रतिभा 1925 में जब इन्होंने मैट्रिक की कक्षा पास की तब निखर कर सामने आई थी l
1925 तक विभिन्न पत्रिकाओं में इनकी कविताएं प्रकाशित होने लगी थी l इन्होंने खड़ी बोली और ब्रजभाषा में भी कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी।
इन्होंने अपनी मां से सुनी कथा को 100 शब्दों में एक खंडकाव्य में लिख कर भी इतिहास रच दिया था । यह खड़ी बोली में रोला और हरिगीतिका छंद में काव्य लिखने के लिए प्रसिद्ध थी।
महादेवी वर्मा जी का वैवाहिक जीवन
हम सभी जानते हैं कि प्राचीन काल में छोटी उम्र में शादी कर दी जाती थी। महादेवी वर्मा जी की शादी भी काफी जल्दी कर दी गई थी । 1916 में जब यह 9 वर्ष की थी इनका विवाह बरेली के पास नवाबगंज कस्बे के निवासी नारायण वर्मा के साथ कर दिया गया था । उस समय नारायण वर्मा दसवीं कक्षा के विद्यार्थी थे।
जानकारी के मुताबिक महादेवी वर्मा जी का वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं गुजरा। इनकी बहुत कम उम्र में शादी हो चुकी थी, इसलिए महादेवी वर्मा जी को शायद पति के साथ रहने में अच्छा नहीं लगा।
वैसे तो अलग-अलग लोगों के द्वारा इस बारे में अलग-अलग बातें कहीं जाती है । लेकिन महादेव वर्मा जी ससुराल में क्यों नहीं रही है, इसका कारण तो उन्हें ही पता था । यह ससुराल में कुछ समय ही रही थी उसके पश्चात घर वापस आ गई थी ।
पिता जी की मृत्यु के बाद नारायण वर्मा अपने ससुर के पास ही रहे, लेकिन बाद में महादेवी वर्मा और नारायण वर्मा दोनों अलग हो गए और महादेवी वर्मा जी के पिताजी ने अपनी पुत्री की ऐसी दशा देख कर उन्हें इंटर करवाकर लखनऊ मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलवा दिया और वही वह बोंडिग हाउस में रहने लगी थी ।
महादेवी वर्मा जी की उपलब्धियां
महादेवी वर्मा को हिंदी साहित्य में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए काफी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है । वर्ष 1934 में महादेवी वर्मा जी को नीरजा के लिए सेकसरिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । इसके पश्चात 1942 में इन्हें स्मृति की रेखाओं के लिए द्विवेदी पदक और साल 1943 में इन्हें मंगला प्रसाद पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था ।
इन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा भारत भारती पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है । इतना ही नहीं महादेवी वर्मा जी को यामा नामक काव्य संकलन के लिए भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार भी दिया गया था ।
महादेवी वर्मा जी की खास बात यह थी कि इन्होंने अपने संपूर्ण जीवन प्रयागराज इलाहाबाद में रहकर गुजारा और साहित्य की साधना की 11 सितंबर 1987 को महादेवी वर्मा जी का देहांत हो गया था।
हिंदी साहित्य में जो उन्होंने योगदान दिया है, वह हम कभी नहीं भूल पाएंगे । साहित्य में जो उन्होंने योगदान दिया है वह हम कभी नहीं भूल पाएंगे ।