विद्यापति का जीवन परिचय | Vidyapati Ka Jeevan Parichay

विद्यापति ठाकुर एक बहुआयामी साहित्यकार और कवि थे जिन्होंने मैथिली, संस्कृत और अवहट्ठ में कई काव्य रचनाएं की है, की सबसे प्रसिद्ध रचना पदावली जो कि मैथिली भाषा में लिखी गई है।

इनकी इस रचना में करीब 1000 पद हैं जो कि आज भी गीत के तौर पर गाए जाते हैं, इन्होंने अपनी इस रचना में श्री कृष्ण और राधा को नायक नायिका के रूप में प्रस्तुत करके श्रृंगार रस से भरे पदों की रचना की है।

Vidyapati Ka Jeevan Parichay
Vidyapati Ka Jeevan Parichay

आज के अपने इस पोस्ट में हम आपको महान कवि Vidyapati Ka Jeevan Parichay के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं यदि आप भी इस महान कवि के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़ें।

विद्यापति ठाकुर का जीवन परिचय | vidyapati ka jivan parichay

नामविद्यापति
पूरा नामविद्यापति ठाकुर
अन्य नाममहाकवि कोकिल
जन्मतिथिसन् 1350 से 1374 के
जन्म स्थानबिसपी गाँव, मधुबनी ज़िला, बिहार
मृत्यु तिथिसन् 1440 से 1448 के बीच
मृत्यु स्थानबेगूसराय
पिता का नामश्री गणपति ठाकुर
माता का नामश्रीमती गंगा देवी
वैवाहिक स्थितिविवाहित
पत्नी का नाममंदाकिनी
बच्चों का नामबेटी का नाम:-दुल्लहि बेटे का नाम:-हरपति
कार्यक्षेत्रक्षेत्र संस्कृत साहित्यकार
प्रसिद्ध रचनाएंकीर्तिलता, पदावली मणिमंजरा नाटिका, गंगावाक्यावली, भूपरिक्रमा आदि।
भाषा शैलीसंस्कृत, अवहट्ट और मैथिली
विषयश्रृंगार और भक्ति रस
पुरस्कारमहाकवि की उपाधि
नागरिकताभारतीय
धर्महिंदू

विद्यापति ठाकुर का जन्म

महान कवि विद्यापति ठाकुर के जन्म को लेकर कई विवाद बना हुआ है, क्योंकि इनके जन्म का कोई लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है हालांकि फिर भी कुछ विद्वान इन के जन्म की तिथि 1350 ईस्वी को मानते हैं और इनका जन्म बिहार राज्य के मधुबनी जिले के बिसपी गांव में हुआ था और ये मिथिला के निवासी थे।

विद्यापति ठाकुर का परिवार

बहुआयामी साहित्यकार विद्यापति ठाकुर के परिवार में इनके माता-पिता थे इनके पिता का नाम श्री गणपति ठाकुर था और उनकी माता का नाम श्रीमती गंगा देवी था। ये बिसइवार वंश के गणपति ठाकुर यानी अपने पिता के आठवीं पीढ़ी के संतान थे, ऐसा कहा जाता है कि इनके पिता गणपति ठाकुर ने कपिलेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना और आराधना की थी तब जाकर उन्हें ऐसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हई।

आपको बता दें रामवृक्ष बेनीपुरी ने इनकी माता का नाम हाँसनी देवी बताया है लेकिन कवि विद्यापति के पद से ही यह स्पष्ट होता है कि हाँसनी देवी महाराज देवसिंह की पत्नी का नाम था।

कवि विद्यापति ने मंदाकिनी नामक स्त्री से शादी की थी जिन से इन्हें दो बच्चे हुए थे इनकी बेटी का नाम दुल्लहि था और इनके बेटे का नाम हरपति था इसके साथ ही इनके बेटे की पत्नी का नाम चंद्रकला था।

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विद्यापति की शिक्षा

महान कवि विद्यापति ने अपनी शिक्षा महामहोपाध्याय हरि मिश्र से प्राप्त की है। इन्हें मैथिली, संस्कृत और अवहट्ठ भाषा का अच्छा ज्ञान था।

विद्यापति की रचनाएं

कवि विद्यापति ने कई प्रमुख रचनाएं की हैं जो कि नीचे आपको निम्न प्रकार से बताई गई हैं।

  • पदावली
  • कीर्तिपताका
  • कीर्तिलता
  • वर्षकृत्य
  • गयापत्तलक
  • लिखनावली
  • शैवसर्वस्वसार
  • गंगावाक्यावली
  • दानवाक्यावली
  • भूपरिक्रमा
  • गोरक्षविजय
  • विभागसार
  • मणिमञ्जरी
  • पुरुषपरीक्षा
  • दुर्गाभक्तितरंगिणी

विद्यापति की उपलब्धियां

विद्यापति ठाकुर को महान कवि की उपाधि दी गई है।

विद्यापति का काव्य सौंदर्य और भाषा

इन्होंने अपनी रचनाओं में मैथिली, संस्कृत और अवहट्ठ भाषा का इस्तेमाल किया है काव्य सुंदर में इन्होंने श्रृंगार रस को प्रधानता दी है।

विद्यापति की मृत्यु

कवि के मृत्यु को लेकर भी विवाद है, कई विद्वान इनकी मृत्यु की तिथि का सन् 1440 से 1448 के बीच में मानते हैं और इनकी मृत्यु का स्थान बेगूसराय जिला के मउबाजिदपुर (विद्यापतिनगर) के पास गंगातट पर हुआ था।

FAQs:

विद्यापति का जन्म कब हुआ था?

इनका जन्म 1350 से 1374 के बीच हुआ है।

विद्यापति के पिता का नाम क्या था?

इनके पिता का नाम श्री गणपति ठाकुर था।

विद्यापति के बच्चों का नाम क्या था?

इनकी बेटी का नाम दुल्लहि था और इनके बेटे का नाम हरपति था।

विद्यापति की मृत्यु कब हुई थी?

इनकी मृत्यु 1440 से 1448 के बीच हुई थी।

निष्कर्ष

आज के अपने इस पोस्ट में हमने आपको विद्यापति का जीवन परिचय के बारे में जानकारी दी उम्मीद करते हैं आपको हमारे यह पोस्ट पसंद आया होगा।

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