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What is Inflation in Hindi | मुद्रास्फीति (Inflation) क्या है?

What is Inflation in Hindi | मुद्रास्फीति (Inflation) क्या है?
What is Inflation in Hindi | मुद्रास्फीति (Inflation) क्या है?

मुद्रास्फीति प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा होती है। किसी भी देश की मुद्रास्फीति का ज्यादा बढ़ना या ज्यादा गिरावट दोनों ही अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक होते हैं। 

अगर आप मुद्रास्फीति के बारे में थोड़ा बहुत जानते हैं या बिल्कुल नहीं जानते हैं। और इससे संबंधित उचित जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। हमारे इस आर्टिकल में मुद्रास्फीति क्या होती है इससे संबंधित हर महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया गया है। 

हमारे What is Inflation in Hindi पर आधारित आर्टिकल में मुद्रास्फीति क्या है से लेकर देश की अर्थव्यवस्था पर इसके क्या प्रभाव पड़ते हैं और आमजन इससे कितना प्रभावित होता है इन शब्दों के बारे में चर्चा की गई है।

Table of Contents

मुद्रास्फीति क्या है ( What is inflation in hindi)

मुद्रास्फीति या महंगाई किसी भी देश की करेंसी की क्रय शक्ति में आने वाली गिरावट को कहते हैं। इस स्थिति में उस देश के उत्पादों और सेवाओं की कीमत में समय के साथ बढ़ोतरी हो जाती है। 

जब इन उत्पादों और सेवाओं की कीमत में इजाफा होता है, तो लोगों की खरीददारी की क्षमता में गिरावट आती है। किसी भी देश के लिए महंगाई या मुद्रास्फीति को स्थिर रख पाना आसान नहीं है। प्रतिवर्ष मुद्रास्फीति में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। लेकिन किसी देश की मुद्रास्फीति में अधिकतर उछाल या गिरावट आ जाना उस देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक होता है।

मुद्रास्फीति के मुख्य कारण

मुद्रास्फीति के कारणों की बात करें तो इसमें कई छोटे-छोटे मापदंड होते हैं जैसे आयकर में कटौती, वस्तुओं की जमाखोरी, सार्वजनिक खर्च में वृद्धि तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतों का बढ़ना इसी देश में मुद्रास्फीति का कारण बनते हैं। 

कुछ विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी देश में अधिक मात्रा में मुद्रा का छापा जाना भी मुद्रास्फीति का कारण होता है। इस आर्टिकल में हम आगे मुद्रास्फीति के प्रमुख कारण के बारे में विस्तारित जानकारी देने वाले हैं।

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मुद्रास्फीति का प्राथमिक कारण

जब किसी उत्पाद की मांग उसके उत्पादन से अधिक हो जाती है। तो उस स्थिति में मजबूरन उसकी कीमत में वृद्धि होती है। इसके अलावा किसी उत्पाद के उत्पादन में प्रयोग होने वाले कच्चे सामान की कीमतों में वृद्धि होने के कारण उत्पादन की लागत बढ़ जाती है। जो उत्पाद की कीमत में वृद्धि करती है। अधिकतर यह प्राथमिक कारण होता है जिस वजह से मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा होती है।

सरकार द्वारा अधिक करेंसी छापना

जब कोई देश की सरकार के खर्च अधिक बढ़ जाते हैं तो वह उनकी पूर्ति के लिए नई करेंसी छाप कर खर्च करती है। देश में अधिक करेंसी वितरित हो जाने के कारण में उत्पाद अथवा सेवा की कीमतों में वृद्धि होती है। जो मुद्रास्फीति का एक कारण है।

जनसंख्या में वृद्धि होना

किसी देश की जनसंख्या में वृद्धि होना भी मुद्रास्फीति का प्रमुख कारण है। देश की जनसंख्या बढ़ जाने के कारण उस देश में उत्पाद तथा सेवाओं की मांग भी बढ़ जाती है सेवा और उत्पाद की कमी उनकी कीमतों में वृद्धि करते हैं

सार्वजनिक खर्च में वृद्धि

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में सरकारी व्यय की अहम भूमिका होती है। जो देश कम विकसित होते हैं वहां पर सरकार को अधिक खर्च करना पड़ता है। अधिक खर्च करना भी मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा करता है।

वस्तुओं का भंडारण या जमाखोरी

कुछ लोग, संस्थाएं और उद्योग अपने उत्पादन या अन्य वस्तु का भंडारण या जमाखोरी कर लेते हैं। तथा उन्हें बाजार में तब तक नहीं उतारते हैं, जब तक उनकी मांग अत्यधिक ना हो जाए। ऐसी स्थिति में उन वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होती है जो मुद्रास्फीति का कारण बनती है।

कृषि उत्पादन में कमी

कृषि के क्षेत्र में बाढ़ आने, अत्यधिक बारिश होने तथा सूखा पड़ने जैसी आपदाओं के कारण कृषि उत्पादन में गिरावट आना भी कीमतों की वृद्धि का कारण बनती है जो मुद्रास्फीति का हिस्सा है ।

नियंत्रित निर्यात ना होना

किसी भी देश में उत्पादन को देश की मांग को पूरा करने के पश्चात उन्हें निर्यात करना सही माना जाता है। देश की मांग की पूर्ति किए बिना निर्यात करना मुद्रास्फीति जैसी स्थिति बनाता है।

मजदूरी का बढ़ना

हर देश में मजदूर वर्ग का एक की यूनियन होता है। जो समय समय पर मजदूरी में वृद्धि की मांग करता रहता है। मजदूरों की तनख्वाह में वृद्धि होने के कारण उत्पादन की लागत बढ़ जाती है। इस कारण यह भी महंगाई के कारण में आता है।

सरकार द्वारा टैक्स कम करना

अधिकतर देशों में समय के साथ-साथ टैक्स में भी वृद्धि होती रहती है। लेकिन किसी विशेष स्थिति में कुछ सरकार अपनी जनता को राहत देने या खुश करने के मकसद से टैक्स में कटौती करते हैं। जिस कारण लोगों के हाथ में खर्च करने के लिए अधिक पैसा आता है और वे लोग उत्पादों तथा सेवाओं के लिए अधिक पैसा खर्च करते हैं। जो उनकी कीमत को बढ़ाने का कार्य करता है। यह भी एक मुद्रास्फीति का कारण है।

अप्रत्यक्ष करों का लागू होना

जैसा की आप सभी को पता है किसी भी देश की सरकार की आय का मुख्य स्रोत टैक्स ही होता है। जिसे सरकार लोगों से विभिन्न प्रकार के करों के रूप में वसूलती है। उद्योगों के ऊपर जब सरकार जीएसटी जैसा अप्रत्यक्ष कर लगाती है, तो वह उनके उत्पादन की लागत में वृद्धि करता है। ऐसे में उत्पादक अपने उत्पादों से लाभ प्राप्त करने के लिए उनकी अधिक कीमत बाजार से वसूलता है, जो एक मुद्रास्फीति का कारण होता है। 

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मंहगाई

भारत की बात करें तो भारत में उत्पादन हेतु विभिन्न प्रकार की सामग्री अंतरराष्ट्रीय बाजारों से आयात की जाती है। उन बाजारों में सामग्री की कीमत में वृद्धि होने के कारण यहां लागत में वृद्धि होती है जो महंगाई का कारण बनती है। 

यह कुछ प्रमुख कारण थे, जिनकी वजह से मुद्रास्फीति जैसी स्थिति देश में पैदा होती है। उनके अलावा भी और कई छोटे-मोटे कारण होते हैं। 

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मुद्रास्फीति के प्रभाव (effect of Inflation)

देश में मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा होने पर प्रत्येक वर्ग में इसका प्रभाव देखा जा सकता है। कुछ वर्ग ऐसे भी हैं जिनमें इसका प्रभाव सकारात्मक और लाभदायक होता है। जबकि अधिकतर क्षेत्रों में यह नुकसानदायक ही होता है।

मुद्रास्फीति से प्रभावित होने वाले कुछ प्रमुख वर्गों के बारे में जानकारी नीचे दी गई है।

1. विनियोगी (Investors):

इस वर्ग में वे लोग आते हैं जो दूसरे व्यवसाय या उद्योगों में पैसा लगाकर लाभ प्राप्त करते हैं। इस वर्ग में भी दो प्रकार के इन्वेस्टर होते हैं। पहले वे होते हैं जिनकी कमाई फिक्स होती है। जबकि दूसरे प्रकार के इन्वेस्टर की कमाई व्यवसाय की तरक्की के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। 

मुद्रास्फीति की स्थिति में पहले वर्ग के इन्वेस्टर को नुकसान होता है, जबकि दूसरे वर्ग का इन्वेस्टर लाभ प्राप्त करता है। 

2. साहसी एवं व्यापारी (Entrepreneurs):

व्यापारियों के रूप में थोक विक्रेता, साहसी निर्माता एवं फुटकर विक्रेता आदि सभी मुद्रास्फीति में अच्छा मुनाफा कमाते हैं। यह अधिकतर व्यवसाय ऋण लेकर करते हैं जिस समय ऋण लिया गया होता है। उस समय उनके उत्पादन की कीमत कम होती है। लेकिन महंगाई के कारण उनके उत्पाद और सेवाएं अधिक मूल्य पर बिकते हैं। जिस कारण उन्हें अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है।

3. मजदूर एवं वेतनभोगी वर्ग (Wage and salaried persons):

इस वर्ग में वह सभी लोग आते हैं जो अपने व्यवसाय ना कर दूसरों के लिए कर्मचारी या मजदूर के तौर पर कार्य करते हैं। मुद्रास्फीति के दौर में इन लोगों को नुकसान होता है। इस दौर में इनकी कमाई उस अनुपात में नहीं बढ़ पाती है जिस अनुपात में बाजार के भाव बढ़ जाते हैं। इस वजह से इनकी खरीदारी शक्ति में कमी आती है। और इन्हें अपनी आजीविका चलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

मुद्रास्फीति के दौर में सरकार को इस वर्ग का अधिक ध्यान देना पड़ता है। सरकार समय-समय पर इन लोगों के लिए सहायता राशि और योजनाएं लेकर आती है।

4. उपभोक्ता वर्ग (Consumers):

इस वर्ग में वे सभी लोग आते हैं जो बाजार के उत्पादों और सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं यानी इस वर्ग में सभी प्रकार के लोग आ जाते हैं। इनमें से कुछ लोगों की कमाई में वृद्धि होती है। जबकि अधिकतर लोगों की कमाई पहले जैसी ही रहती है। लेकिन बाजार में सभी सामग्री की कीमतें बढ़ जाने के कारण यह लोग अपनी जरूरत का सामान पर्याप्त मात्रा में नहीं खरीद पाते हैं।

5. ऋणी  ( Debitor) :

यह वे लोग होते हैं जो धनी लोगों से कर्जा लेकर कोई कार्य करते हैं मुद्रास्फीति की स्थिति में इन्हें लाभ प्राप्त होता है। क्योंकि इन्होंने जो पैसा लिया होता है उससे जो भी कार्य किया होता है या जो वस्तु बनाई होती है। मुद्रास्फीति के कारण उस वस्तु की कीमत बढ़ जाती है। जबकि ऋण के रूप में वही पुरानी रकम चुकता करनी होती है।

6. धनी ( Creditor) :

यह लोग दूसरे लोगों को ऋण के रूप में पैसा देते हैं और बाद में उसे ब्याज के साथ वसूलते हैं। मुद्रास्फीति के दौर में इन्हें नुकसान का सामना करना पड़ता है। इनके द्वारा ऋण के रूप में दिए गए पैसे की कीमत इस दौर में कम हो जाती है।

7. कृषक एवं भू-स्वामी (Agriculturists and Landlords):

मुद्रास्फीति के दौर में कृषक और भूस्वामी को मिलाजुला असर होता है। अधिकतर कृषक बैंकों तथा अन्य लोगों से ऋण लेकर कृषि कार्य करते हैं। इस वजह से उन्हें इस दौर में लाभ प्राप्त होता है। जबकि कृषि कार्य हेतु आवश्यक सामग्री इस दौर में महंगी हो जाती है तो उसके लिए इन्हें भी अधिक मूल्य अदा करना पड़ता है।

8. सरकार पर प्रभाव (Effects on Government):

महंगाई के दौर की मार का सामना सरकार को भी करना पड़ता है।  इस दौर में सरकार की आय में कमी आती है। जिससे उसे अपनी अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने में समस्या का सामना करना पड़ता है।

9. निर्यात कर्ता (Exporters):

निर्यात कर्ता को इस दौर में लाभ प्राप्त होता है। देश में होने वाले उत्पादन को वह विदेशों में निर्यात करके विदेश की मुद्रा के रूप में अच्छी कमाई प्राप्त करता है।

10. आयात-कर्ता (Importers):

आयात-कर्ता को इस दौर में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मुद्रास्फीति की स्थिति में देश की करेंसी की कीमत कम हो जाती है। इस स्थिति में उसे विदेशों से सामग्री आयात करने के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।

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निष्कर्ष!

हमारा यह आर्टिकल मुद्रास्फीति पर आधारित था। जिसमें आपने मुद्रास्फीति क्या होता है, मुद्रा स्थिति के कारण क्या है तथा मुद्रास्फीति का प्रभाव किस किस वर्ग पर पड़ता है। इन बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त की। 

What is Inflation in Hindi पर आधारित यह आर्टिकल अब यहीं पर समाप्त होता है। अगर आपके पास मुद्रास्फीति से संबंधित कोई प्रश्न है तो उसे नीचे कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक जरूर पहुंचाएं। 

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